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Lata Mangeshkar - The legendary melody queen of Hindustani Music

 

6 फरवरी की सर्द सुबह धीरे-धीरे अपनी आंखें मींचे खुल रही थी। जयपुर का सूरज सर्द हवाओं से लड़ने की भरपूर कोशिश में था। सर्द से गुनगुनी होती हुई सुबह की आंखों में कितना दर्द छुपा है किसी को मालूम नहीं था।


 थोड़ी ही देर बाद हिंदुस्तान के सारे चैनल एक आवाज में एक ऐसी खबर परोसने लगे जिसने हर भारतीय की आंखों में पानी भर दिया, आवाजे दरकने लगी, तमाम हिंदुस्तानियों की सिसकियां बंध गई। भारत की जमीन अचानक एक ऐसी आवाज से मरहूम हो गई जिसने 80 साल तक भारत सहित दुनिया की ना जाने कितने दिलों की धड़कन के साथ अपनी आवाज के रिदम को एक कर दिया था।

 6 फरवरी की मनहूस सुबह ने भारत से भारत का सबसे बड़ा गुरूर , हिंदुस्तान की सबसे मधुर आवाज लता मंगेशकर को छीन लिया। मैं हाथ में चाय का कप लिए यह खबर सुन रहा था और गले में सिसकियां लगातार बनती चली जा रही थी। आज से 92 साल पहले इंदौर में पैदा हुई हेमा मंगेशकर का लता मंगेशकर बनने का सफर इतना आसान भी नहीं था। 

कहते हैं इंसान बनना बेहद मुश्किल काम है और जीते जी भगवान तो लगभग नामुमकिन, हेमा मंगेशकर ने धीरे-धीरे लता और फिर लता दीदी से होते हुए आवाज की साक्षात सरस्वती देवी होने का सफर तय कर लिया था। पिता दीनानाथ मंगेशकर खुद एक संगीतकार थे और हेमा के लहू में में राग रागिनी बचपन से ही दौड़ने लगी थी। पिता नाटकों में संगीत देते थे और छोटी हेमा जो अब लता हो गई थी, पिता के साथ नाटकों में अभिनय कर रही थी।


 13 साल की उम्र के दरवाजे पर लता खड़ी ही हुई थी के पिता ने हाथ हिला कर इस दुनिया को छोड़ने का इशारा कर दिया। कच्ची सी उम्र की यह बच्ची अब इस बड़े संसार में अपना और अपने छोटे भाइयों के जीवन को संवारने और तराशने में लग गई। कुछ मराठी और हिंदी गाने गाते गाते लता आखिर महल के उसकी तक पहुंची जिसने लता को लता मंगेशकर बना दिया। आएगा आने वाला यह गीत जब सिनेमा के माध्यम से लोगों के कानों में पहुंचा, हर श्रोता के दिल धड़क गए। कुछ दिनों बाद आई बैजू बावरा मैं लता के गीत उनकी शास्त्रीय संगीत और राग दरबारी पर पकड़ को दिखाने लगे। तू गंगा की मौज , मैं जमुना की धारा, जैसे गीत में लता को लोकप्रियता के ऊरुज पर बैठा दिया। 

श्री 420 के गाने प्यार हुआ इकरार हुआ, इचक दाना बिचक दाना, रमैया वस्तावैया जैसे गीत लता मंगेशकर की फिल्म इंडस्ट्री में पकड़ को बेहद मजबूत करते चले गए। बहुत सारी सिनेमा को अपनी नक्काशी दार आवाज से बेहद सुरीला बनाते बनाते लता अब मधुमति फिल्म तक पहुंच गई। इस फिल्म के गीत आजा रे परदेसी स्नेह लता मंगेशकर क्या बात को हर इनाम इकराम से लाद दिया। दिल तड़प तड़प के कह रहा है आ भी जा, घड़ी घड़ी मेरा दिल धड़के, चढ गयो पापी बिछुआ, लता के गले से निकला हर गाना अब भारत के गली गली में बिखर गया था ।

 लोगों की सुबह और शाम इन गानों के किनारों पर बीतने लगी। चंद कदम आगे बढ़कर लता ने उस फिल्म का दामन थामा जिसने भारतीय सिनेमा के चेहरे को बिल्कुल बदल के रख दिया। 1960 में आई mughal-e-azam में प्यार किया तो डरना क्या गीत को अपने गले से गुजा़र कर आसमान की बुलंदी दे दी। भारतीय सिनेमा में लता मंगेशकर की आवाज संगीत और यहां तक फिल्म के सुपर हिट होने की जरूरी शर्त मानी जाने लगी। 

लता मंगेशकर के हजारों गीत हमारी जिंदगी की दिनचर्या में शामिल है आइए इन्हीं गीतों में से कुछ खास गीत एक खास नजर से देखते हैं।

१- शैलेंद्र के लिखे गीत और एसडी बर्मन के संगीत द्वारा सवारी गए आज फिर जीने की तमन्ना है, को जब लता जी की आवाज़ मिली, हर शब्द मे जिंदगी भर गई। 

 २- इसी गाइड फिल्म का "गाना पिया तोसे नैना लागे रे" मैं लता ने मोहब्बत की हर शीरी जज्बात को अपनी आवाज़ की चासनी में ऐसा पकाया कि लफ्ज़ लफ्ज़ मोहब्बत में भीग कर गुलाबी हो गया। 

३ - अनपढ़ फिल्म का गाना " आपकी नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे" ने ना जाने कितने लोगों को मोहब्बत में पीएचडी की डिग्री दिला दिया।

 ४- राजेश खन्ना जब अपनी पलके झुका कर लोगों को मोहब्बत की बारिश में भिगो रहे थे ,उसी दौर में आराधना फिल्म का गाना "कोरा कागज था यह मन मेरा " मे किशोर के साथ जब लता ने ताने  छेडी, हर इंसान अपने दिल की पुरानी इबारत मिटा कर उसे कोरा करने में जुट गया। 

५- अपनी जिंदगी के छठे दशक में लता जी को जब दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे का तुझे देखा तो यह जाना सनम गाना मिला तो लता जी ने अपनी आवाज में किशोर चंचलता और उगते हुए प्यार का ऐसा लहजा पेश किया कि नब्बे के दशक का हर नौजवान,  प्यार की परिभाषा में सिर्फ इस गाने का ही जिक्र करता था।

 ६-  अगर तुम ना होते का टाइटल गीत " हमें और जीने की ख्वाहिश ना होती अगर तुम ना होते " गाने को लता जी ने अपनी गली से तराश कर इतना पैशनेट कर दिया कि प्यार खूबसूरत जिंदगी की जरूरी शर्त बन गया।

 ७- नैना बरसे रिमझिम रिमझिम लता जी के गाए हुए गीतों का एक और खूबसूरत नजराना है। वह कौन थी फिल्म का यह गाना,  इस सस्पेंस थ्रिलर फिल्म की जान था। 

70 सालों से भारत के हर इंसान की सुबह और शाम खूबसूरत बनने का सबसे अच्छा जरिया , लता जी के गाने थे। आवाज की साक्षात सरस्वती के दुनिया छोड़ने के बाद कभी भारत फिर पहले जैसा म्यूजिकल हो पाएगा,  इसमें हमेशा संदेह रहेगा 

© अविनाश त्रिपाठी

2 comments:

  1. शानदार ❤️

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  2. बहुत ही अच्छा लिखा, काफी जानकारी मिली, संगीत की सरस्वती देवी लता दीदी को विनम्र श्रद्धांजलि।🌹🌹🙏🙏

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