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Best films of Karan Johar - The Maverick Filmmaker

 

                रोमांटिक फिल्म का सुकुमार राजकुमार -करन  जोहर


ज़बान पर दिल्ली की मिठाइयों का ज़ायका संभाले एक नौजवान मुंबई पंहुचा. कुछ दिनों तक  ज़ायका तो रहा लेकिन पेट भूख से सिकुड़ने लगा. माँ के दिए पैसे ख़त्म हो चुके है तो नौजवान, नौकरी के लिए ऑफिस  के दरवाज़ों  पर अपनी उंगलियों का  निशाँ बनाने लगा. वक़्त बदला तो यही नौजवान सिनेमा की कई सीढिया चढ़ता, फिल्म प्रोडूसर बना और यश चोपड़ा की  बहिन को दुल्हनिया बना घर ले आया. इसी घर में २५ मई १९७२ को एक बालक पैदा होता है जिसे दुनिया पहले राहुल कुमार जोहर  ,बाद में करन जोहर के नाम से जाना शुरू करती है. स्वाभाविक है दिल्ली से आये उस नौजवान , जिसकी दिल्ली में मिठाई की दुकान था, उसका नाम यश जोहर था.

पिता यश ने बहुत से कलाकार को सुपरस्टार का दर्ज़ा दिलाया था।  करन  को भी वो परदे को अपनी आमद से सुनहरा करते हुए देखना चाहता थे. इसी प्रक्रिया में १९८९ में करन  ने दूरदर्शन के एक सीरियल '  इंद्रधनुष ' में अपने अभिनय की बाजुएँ  खोली भी. बचपन में बेहद सिमटे सिमटे करन को जब पंचगनी बोर्डिंग के लिए भेजा गया , करन घर से दूरी बर्दाश्त नहीं कर पाए और ४ दिन बाद ,वापस मुंबई माँ के पास आ गए. हालांकि बेहद शर्मीले, सहमे से करन  में अचानक एक बोल्डनेस, और व्यक्तित्व बहिर्मुखी हो गया. 

 

(Source:https://www.dnaindia.com/)

२३ साल की उम्र में करन  ने कैमरे के पीछे खड़े होकर, कहानिया गढ़ने का फैसला किया।  पहली पाठशाला में अपने मामा यश चोपड़ा के प्रोडक्शन में बन रही फिल्म 'दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे' भावना, इश्क़, संवेदना , भारतीय पारिवारिक परंपरा और सम्बन्धो के ताने बाने को ख़ास अंदाज़ में उकेरना सीख लिया. ३ साल बाद ही करन  ने ' अपनी कहानी 'कुछ कुछ होता है ' भारतीय दर्शको के दिल में बहुत कुछ होने की संभावना को ज़िंदा कर दिया.

 खूबसूरत परिवार,  दिलफरेब  सपने सरीखे कॉलेज,  प्रेम के आदर्श तस्वीरें , सच के बहुत करीब न होकर भी बेहद चित्ताकर्षक थी.  भारतीय सिनेमा को ६ठवे दशक के गोल्डन सिनेमा के करीब ले जाकर, उसमे धनाढ्य परिवार, बेहद आकर्षक कपडे, लोकेशन , बेहद शानदार गीत के शानदार मिश्रण करके अब जो मोजिज़ा बन रहा था , क्रिटिक  उसे कारन जोहर टाइप्स फिल्म कह रहे थे. 

 

अपने पहली फिल्म 'कुछ कुछ होता है ; में प्यार दोस्ती है ; के नए स्लोगन से भारतीय युवाओ में अलग आत्मिश्वास और प्यार में सात्विकता एवं कुर्बानी के  खूबसूरत तार, कहानी की रूह से टांक दिए. पहले प्यार में एक गहरी हुक  होती है जो रह रह कर उठती है और आखिर वो अपनी मंज़िल पा लेती है. कुछ कुछ होता में यही हुआ।  

करन  जोहर को अपने दौर के सबसे बेहतर एक्टर की ज़मात, अपनी फिल्म में रखने की भी महारत है और किसी भी एक्टर को ,उसका किरदार, हल्का नहीं लगता.  अपनी मल्टी  स्टारर फिल्म ' कभी ख़ुशी कभी ग़म ' में करन , अमिताभ, शाहरुख़ और  ऋतिक जैसे तीन पीढ़ियों के सबसे कामयाब अभिनेता को अपनी कहानी का किरदार देते है तभी लग रहा था कि  कुछ ख़ास भारतीय सिनेमा के इतिहास में होने जा रहा है. गोद  लिए पुत्र ,शाहरुख़ ने  जब अपनी  मर्ज़ी से   अपने परिवार से कमतर सामाजिक आर्थिक  स्तर की लड़की काजोल से प्रेम विवाह किया तो घर के समीकरण बदलने लगे. पिता अमिताभ , नाराज़ हुए तो शाहरुख़ ने घर ही नहीं भारत छोड़ दिया. सालो के बाद परिवार के एक जुट होने की प्रक्रिया में ऋतिक , मकान की बुनियाद में धंसकर, ये काम आसान करते है. 

असहमति के बावजूद, बड़ो का सम्मान, परिवार के प्रति अगाध प्रेम से सने  हुए दृश्य, पुरुषो के भी आँखों में बेमौसम बारिश ले आते हैं.  अपने लगभग उन्ही एक्टर में मामूली फेरबदल के साथ, करन ' कभी अलविदा न कहना ' लेकर आते है और विवाहेतर सम्बन्धो पर अपना टेक देते दिखाई देते है. हालाँकि करन  की फिल्मो का धनाढ्य परिवार, उनके मूल में बना रहता है और वो बहुत सारी  सामाजिक समस्याओ को दरकिनार करते हुए अपनी कहानी का केंद्र, रिश्ते   ही बनाना चाहते है.

 ये बेहतर भी है क्योकि हर निर्देशक का एक जिया हुआ और कम्फर्ट जोन होता है. ये फिल्म भी अपनी प्रयोगिक स्क्रीनप्ले , बोल्ड विषय के वजह से चर्चित और कामयाब भी रही. 

 

(Source:https://newsd.in/)

 "के"  से शुरू होने वाली और सम्बन्धो की पतली परत में गहराई से झांकते करन  अपने फिल्मो से थोड़ा मुख्तलिफ रुख अपनाने है और   अब ' माय नेम  इस खान ' बनाते है. 

मुस्लिमो को एक ख़ास नज़र से देखे जाने की प्रक्रिया की खिलाफत करती ये फिल्म, करन  को बौद्धिक स्तर  पर स्थापित करती है. इसके बाद, स्टूडेंट्स ऑफ़ द  ईयर , और कुछ फिल्म से गुज़र कर ' ऐ दिल है मुश्किल; तक पहुंचते है. ये फिल्म फिर ख़ास 'करन  के लहजो अंदाज़ की फिल्म है. दोस्ती की ज़मीन में धंसते हुए रिश्ते, इश्क़ में मशगूल  और तेज़ी से उखड़ते हुए , ज़िन्दगी और इश्क़ के फलसफे  समझाती कोई शायरा और वापस अपनी मोहब्बत से मिलन, इस कहानी के बिखरे तार है. 

 २०२१ करन  जोहर के लिए सबसे ख़ास होने जा रहा है।   करन  अपने धर्मा प्रोडक्शन से बहुत से बड़ी फिल्म प्रोडूस कर रहे है. करन  की मुख्य फिल्म ' शेरशाह  , सूर्यवंशी , क्रेजी हम,  रणभूमि , दोस्ताना , लाइगर, दोस्ताना, २ और तख़्त है.

अपने जीवन के ५०वे बसंत में प्रवेश कर रहे करन , भारतीय सिनेमा की एक ख़ास धुरी बने रहे और पारिवारिक मनोरंजन और एस्केप रिलीफ के सबसे बड़े नाम रहेंगे , ऐसी ही उम्मीद है

Avinash Tripathi

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