कोरोना ने किया बॉलीवुड का कितना नुकसान
कोरोना की दूसरी लहर ने बॉलीवुड की कमर तोड़ी
सिनेमा भारत में भावनात्मक स्तर पर लोगो को जोड़ देता है. थिएटर में चल रहे एक ही दृश्य पर सैकड़ो लोग मुस्कुरा देते है या रुंधे गले से हिचकिया लेते सुनाई दे जाएंगे. थिएटर के टिकट की लगने वाली लाइन से से ,थिएटर के अंदर बैठकर, सिनेमा को एक एक दृश्य को आत्मसात करना , किसी बेहद हास्य परक दृश्य पर खिलखिलाकर देर तक हंसना ,फिर झेंप कर , अपना ध्यान पुनः सिनेमा के परदे पर केंद्रित करना , इस सब कमाल सिर्फ थिएटर होते थे.
भारत में होली के सूरज के डूबते डूबते , धीरे धीरे सिनेमा का मुकद्दर टूटने भी लगा और गहरे पानी में डूबने भी लगा. २४ मार्च को लोखड़ौन लगते ही सिनेमा अपने पालनहार, दर्शको की आमद के लिए तरसने लगा. पिछले साल भर से विश्व के लिए अजूबी बीमारी कोविड ने जीवन को ३ घंटे के लिए अलग लोक में ले जाने वाली इस प्रक्रिया का लगभग अंत कर दिया।
२०२१ की शुरुआत से हालात थोड़ा थोड़ा बेहतर होते दिखने लगे तो फिल्म निर्मात के साथ, अभिनेता के होंठो की मुस्कराहट थोड़ी चौड़ी होने लगी। अप्रैल के पहले हफ्ते से अचानक हालात ने बड़ी करवट ली और धीरे धीरे सम्पूर्ण भारत में फिर इसी कोरोना ने अपने चील जैसे पंजे को फैलाना शुरू कर दिया. ये पूरे विश्व में महामारी के लिए बदनाम सेकंड वेव यानी दूसरी लहार थी। कोविड की दूसरी तेज़ लहर ने फिल्म बनने की प्रक्रिया पर पहले कुठारा घात करना शुरू किया
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पिछली बार की तुलना में बेहद खतरनाक इस लहर ने हवा के पंखो पर बैठ कर अपना सफर और तेज़ कर दिया. अब शूट कर रहे बहुत से अभिनेता और अभिनेत्री के साँसों में भी ये ज़हरीली हवा पहुँच गयी। जल्दी ही सपनो के शहर के गली गली में इस ज़हरीली हवा ने अपनी चादर फैला ली. आखिर सरकार ने भारतीय जनमानस के दिल के सबसे करीब सिनेमा बनने की प्रक्रिया पर लगाम लगाना शुरू कर दिया
५ अप्रैल से नए नियम कानूनों से फिल्म की शूट की प्रक्रिया बेहद दुश्वार हो गयी है. रात ८ बजे के बाद शूट करना लगभग असंभव है , शूट के सभी क्रू को नेगेटिव रिपोर्ट साथ रखनी होगी, भीड़ भरे शॉट पर मनाही है, उस पर इंडस्ट्री के बहुत से बड़े एक्टर, कोरोना का शिकार होकर शूट छोड़ , आइसोलेशन में है. अक्षय कुमार, कार्तिक आर्यन, आलिया भट्ट , गोविंदा , कटरीना कैफ , आमिर खान , परेश रावल , संजय लीला भंसाली जैसे बहुत से बड़े कलाकार कोविड का शिकार होकर, अपनी चलती हुई शूट छोड़ चुके है. ये सभी स्थिति , सिनेमा जैसे बड़े उद्योग और मनोरंजन से इतर , एक ज़रुरत की कमर तोड़ने को काफी है.
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एक तरह जहाँ कोविड के बढ़ते केस , नाईट कर्फ्यू , शूटिंग रिस्ट्रिक्शन से फिल्म का सॉफ्टवेयर तैयार नहीं हो पा रहा वही बनी हुई करोडो की फिल्म , इस स्थिति को भांपकर, थिअट्रिकल रिलीज़ से घबरा रही है. पिछले एक हफ्ते में कई बड़े प्रोडूसर्स ने अपनी फिल्मो की निर्धारित रिलीज़ को अनिश्चित काल के लिए टाल दिया है।
राना डुग्गाबाती की बहु चर्चित फिल्म ' हाथी मेरे साथी' , यश राज बैनर की बहु प्रतीक्षित फिल्म ' बंटी और बबली २ ' , अमिताभ बच्चन और इमरान हाशमी की फिल्म 'चेहरे ' भी कब, थिएटर रिलीज़ हो पाएगी, अब कहना मुश्किल है.
[Source: Poster of film "Chehere"- https://www.thehansindia.com] |
एक और बड़ी फिल्म 'सूर्यवंशी ' पिछले साल से थेटर्स की बाँट जोह रही है लेकिन पहले लाकडाउन , फिर आधी क्षमता के साथ थिएटर्स ओपन के कारण , रोहित शेट्टी ने फिल्म को ३० अप्रैल को रिलीज़ निर्धारित की. अपनी नयी परिस्थिति में फिल्म का रिलीज़ अनिश्चितकाल के लिए टल गया है.
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देश के ज़्यादातर मल्टीप्लेक्स के बंद होने, दर्शको को कोविड की नेगेटिव रिपोर्ट लाने और नाईट कर्फ्यू के कारण , सिनेमा देखने वालो की तादाद हो गयी है. महाराष्ट्र में ३० अप्रैल तक थिएटर्स बंद रहने , शूट न हो पाने से कंटेंट का ज़बरदस्त अभाव होना शुरू हो गया है.
रेड कार्पेट मूविंग पिक्चर्स के फाउंडर और पार्टनर संजय भूटीयानी के अनुसार 'आने वाली स्थिति बेहद मुश्किल भरी है. थिएटर्स के बंद रहने से मल्टीप्लेक्स और सिंगल थिएटर ओनर , दोनों के लिए बेहद मुश्किल वक़्त है और शायद कई थिएटर दोबारा कभी ओपन भी न हो पाए, इसकी संभावना बहुत ज़्यादा है.
शूट रूकने से फिल्म ही नहीं , बल्कि ओ टी टी , टीवी और इंटरनेट पर भी नए कंटेंट का ज़बरदस्त अभाव देखने को मिलेगा. संजय ने ये भी बताया की अब दोबारा शूट शुरू करना भी मुश्किल होगा क्योकि सभी कास्ट और क्रू की डेट को मैच करना प्रोडूसर्स के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होगा.फिल्म इंडस्ट्री की सबसे मुश्किल प्रक्रिया में सभी अभिनेता , अभिनेत्री, सहकलाकार , चरित्र कलाकार , कैमरामैन ,एवं अन्य टीम मेंबर्स की डेट्स का एक साथ अवलेबल होना है
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नार्थ इंडिया के प्रसिद्द फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर राज बंसल का कहना है कि कोरोना की मार फिल्म इंडस्ट्री को शायद सबसे ज़्यादा झेलना पड़ रहा है और सरकार की तरह से न टैक्स में कोई रिलैक्सेशन है और न ही कोई राहत या पैकेज सरकार, थिएटर ओनर को दे रही है.
राज बंसल के अनुसार हिंदी फिल्म इंडस्ट्री , रीजनल इंडस्ट्री और हॉलीवुड की फिल्म रिलीज़ को मिलाकर लगभग २० हज़ार करोड़ का अनुमानित घाटा हो चुका है. राज बंसल के अनुसार इलेक्शन , धार्मिक समारोह में भीड़ को कण्ट्रोल नहीं किया जा रहा लेकिन थेटर्स में दर्शको पर ज़रुरत से ज़्यादा कड़ाई की जा रही है और ये फिल्म उद्योग की रीढ़ तोड़ देगा.
राज बंसल का ये भी कहना है की फ्लाइट में यात्री अगल बगल की सीट पर बैठकर यात्रा कर रहे है लेकिन सिनेमा हाल में एक सीट छोड़कर बैठने पर भी पाबन्दी लगा दी गयी है और सिनेमा थेटर्स को पूरी तरह बंद करने का आदेश दिया गया है.
फिल्म हॉल्स का बंद होना, शूट का रूक जाना , रात्रि में और भीड़ की शूट न करने का आदेश , सिनेमा और विजुअल कंटेंट क्रिएट करने वाली इंडस्ट्री पर कुठाराघात करेगा, ये तो परिलक्षित है.
देखना ये भी होगा की कोरोना फ्री समाज आने तक इंडस्ट्री , अपने आपको कैसे इस विषम परिस्थिति में सर्वाइव कर पायेगा। ये तो तय दिख रहा है की आने वाला समय , मनोरंजन का कंटेंट क्रिएट करने वालो के लिए बेहद भारी पड़ने जा रहा है.
अविनाश त्रिपाठी
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