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Sushant Singh Rajput - A Highly Talented Actor

 

 

                                                    छोटे शहर का बड़ा एक्टर -सुशांत सिंह राजपूत

छोटे शहर के लड़को की शायद आँखे बड़ी होती है , या बड़े बड़े ख्वाब पालते , ये आँखे खुद बा खुद बड़ी हो जाती है. पटना का एक लड़का ऐसे ही बड़े ख्वाब लिए पहले दिल्ली आता है।  इंजीनियरिंग करते इस लड़के के दिमाग में कुशाग्रता , पैरो में चपलता , दिल विकल और आँखे ,कुछ बड़ा करने की छटपटाहट में सजल थी. मैकेनिकल इंजीनियरिंग करते वक़्त भी  मशीनों  के शोर में संगीत और कट की पुकार सुनते  इस लड़के ने आखिर अपने  पैर  में मुंबई का सफर बाँध लिया ।  नाटक, बैकग्राउंड डांसर और छोटे परदे पर , उससे भी छोटे किरदार करते इस लड़के के ख्वाब, बार बार आँखों में टूट रहे थे।  आखिर इस लड़के को ज़ी का सीरियल ' पवित्र रिश्ता ' मिल गया।  बरसो पहले मरहूम माँ  के सपने को पूरा करता ये  लड़का , माँ का सपूत हो गया ,  सुशांत सिंह राजपूत हो गया. 

 


 पवित्र रिश्ता लोगो की आँखों में चढ़ रहा था और साथ ही इसका मुख्य किरदार लोगो के दिलो में गहरा बैठ रहा था.  एक गैराज  मकैनिक की भूमिका से व्यापार जगत के बड़े हस्ताक्षर बनने के सफर में सुशांत  धीरे धीरे पक  कर गाढ़े होते जा रहे थे. हर एपिसोड में अपने अभिनय, भोलेपन, और लगन से सुशांत एक और इंच दर्शको के दिल में गहरे धंस जाते.  

कुछ सालो तक चला ये डेली सोप ओपेरा , अब सुशांत को भारतीय टेलीविज़न का का सबसे पहचाना और प्यार किये जाना वाला चेहरा बना रहा था.  टीवी के कई और धारावाहिक में अलग अलग किरदार को अपनी रूह का कुछ हिस्सा देते सुशांत, अब टीवी का सबसे चाहता किरदार बन जाते है. अपनी आदत के अनुसार , सुशांत को अब कुछ और बड़ा चाहिए था और वो बड़े परदे में कद्दावर किरदार ही हो सकता था. 

 छोटे परदे के मानव देशमुख से   'काई पो छे ' के ईशान भट्ट के सफर में सुशांत के पसीने की चमक, उसके चेहरे पर साफ़ देखी  जा सकती है. क्रिकेट का जूनून, लोकल पॉलिटिक्स , हिन्दू मुस्लिम रिलेशन्स, तीन दोस्तों की कहानी को गूंथ कर बनायीं गयी इस फिल्म में ईशान भट्ट की भूमिका में सुशांत जान दाल देते है. शिद्दत से किये गए किरदार , अक्सर आपको एक ख़ास मुकाम तक ले जाते है।   एक क्रिकेटर के साथ  हुई  राजनीति  उसके रास्तो को कैसे मोड़ती है , इस किरदार को जीते सुशांत , पहली बॉल पर छक्का मारते , फिल्मफेयर  के बेस्ट डेब्यू एक्टर के नॉमिनेशन तक पहुंच गए.

 


.पहली  ही फिल्म में किरदार को मुक़म्मल जिस्म और रूह देते सुशांत ने अब  डायरेक्टर्स की नज़र में उतरना शुरू कर दिया था. ज़्यादातर डायरेक्टर्स को अपनी भूमिका में एक ऐसे किरदार की आवश्यकता होती है जो सिनेमा में ओवर एक्सपोज्ड न हो और किरदार के बदन में पानी की तरह घुल जाए. .कई पो छे के किरदार को करीब से देख रहे राजू हिरानी की नज़र में सुशांत एक झटके में चढ़ जाते हैं.  

पी के में एक छोटा लेकिन अहम् किरदार करते सुशांत, अनुष्का के साथ, सिनेमा में गहरे उतरते दीखते है.  चेहरे मोहरे , क़द काठी से हीरो जैसे सुदर्शन सुशांत को अब एक मुख्य धारा  की फिल्म चाहिए होती है जिसमे वो भारतीय सिनेमा में हीरो की तरह इश्क़ की आंच में धीरे धीरे पकते दिखाई दें.  इसी ख्वाहिश की पतंग को माकूल हवा मिलती हुई फिल्म ' शुद्ध देसी रोमांस' मिलती है. विशुद्ध मोहब्बत में डूबते सुशांत ने ' शुद्ध देसी रोमांस ' में जयपुर के हर पत्थर को अपने इश्क़ और बेबाकी से गुलाबी कर दिया. 

 जयपुर की गुलाबी हवा को बुनकर बनायीं इस कहानी में सुशांत, इश्क़ में इस कदर डूबते है की लोगो को उनमे रोमांस का बड़ा स्टार दिखाई देने लगता है  सुशांत के अभिनय और फ्लम्बॉयस को देखकर प्रसिद्द निर्देशक शेखर कपूर ने उसे भारत का सबसे उभरता सितारा और अगला शाहरुख़ खान तक बोल दिया. लेकिन सुशांत के होंठो पर अभिनय की  शिद्दत बढ़  चुकी थी 

बहुत सारे सच   झूठ , कल्पनाओ के इर्द गिर्द अपने किरदार का खाका  खींचते खींचते  अब सुशांत को एक ज़िंदा चरित्र मिल जाता है . किरदार भी ऐसा जिसने भारत को  सारे फार्मेट के क्रिकेट में वर्ल्ड चैंपियन बनाया था।  एम  एस  धोनी ; द  अनटोल्ड स्टोरी ' ने सुशांत को हिंदी सिनेमा के उस फेहरिश्त में शामिल कर दिया जहाँ से सिर्फ सुपरस्टारडम का रास्ता जाता था.

 


 क्रिकेट का नेचुरल प्लेयर और सीखने की ज़बरदस्त चाहत ने सुशांत को धोनी से तोला  तोला  मैच करा दिया.  धोनी के क्रिकेट के उस पार की दुनिया को भी सुशांत , अपनी भाव से कभी रोमानी , कभी दर्द में भीगा दर्शाते रहे. दर्शको के हर भीगे इमोशंस से राब्ता क़ायम करते सुशांत , अब 'राब्ता तक जा पहुंचे।

 

 


  पुनर्जन्म की मोहब्बत से इस जन्म में भी मोहब्बत का राब्ता क़ायम करते सुशांत , रोमानी रोल में भी दूध में चीनी की तरह घुल जाते है. कुछ लोगो के मोहब्बत की तिश्नगी इस कदर होती है कि  पूरा एक जन्म इसके लिए नाकाफी होता है. राब्ता में कृति सेनोन के साथ , सुशांत इस तरह ही डूबते रहे.

 शिव के पुजारी सुशांत के हिस्से में अब वो फिल्म आ गयी जो सुशांत के  प्यार में फना हो जाने के हुनर को परखती है. . केदारनाथ में सुशांत की आतंरिक शिव भक्ति , कठिन समय में विष का प्याला स्वयं पीकर, दुनिया को बचाने की चेष्टा भी साफ़ दिखाई देती है.  

 


परदे पर बेहद रोमानी और खुशनुमा ज़िन्दगी के घूँट घूँट पीते सुशांत , छिछोरे ' में कालेज लाइफ के हर पन्ने  पर उत्साह और शरारत लिखते दिखाई देते है. लेकिन यही सुशांत अपने बेटे की सुसाइड की कोशिश के बाद , उसे ज़िन्दगी को हर  लम्हे को जीने का सबक देते दिखते  है.  कई दृश्यों में पिता का स्नेह ,हर दर्शक की आँखों से बहने लगता है.

एस्ट्रो  फिजिक्स , स्पोर्ट्स और हर पल लड़कर, जीतकर कामयाबी की ऐसी इबारत लिखने वाले सुशांत , जिन्होंने छोटे शहर के लड़को को सपने देखने और जीने का सबक दिया था, एक दिन ये सबक खुद भूल गए.  में बेहद धनात्मक और विज्ञान के विषयो , दूसरी दुनिया की बातो में खासी दिलचस्पी लेने वाले सुशांत को आखिर ऐसा क्या हुआ की इस दुनिया से उनका ऐतबार कम  हो गया.  

बड़े बड़े ख्वाबो वाले सुशांत की आँखो ने इस दुनिया को और देर तक देखने से इंकार करना शुरू कर दिया.  जो शख़्स  , ज़िन्दगी की हर बात डायरी में लिखकर योजनाए बनता हो, वो अपनी ज़िन्दगी की सबसे महत्वपूर्ण बात , बिना लिखे कही दूर कैसे जाने लगा.

 व्यावसायिक ज़िन्दगी की उलझने , व्यक्तिगत ज़िन्दगी की उहापोह, करियर के अनचाहे दबाव, इस कदर कस्ते चले गए कि  इस बेहद प्रतिभाशाली कलाकार की साँसों से और चलने से इंकार कर दिया. आखिर १४ जून की उमस भरे दोपहर में सुशांत सिंह राजपूत, उस दुनिया में चला गया जहाँ से कई लौट कर नहीं आता।  छोटे शहर से आकर, बॉलीवुड में बिना गाड़ फादर के , सफलता के नए पर्वत और ऊंचाई बनाने वाले सुशांत को सलाम

 

 


. २१  जनवरी को पैदा हुए सुशांत का शरीर , नहीं है लेकिन जीरो से हीरो बनने को ऐसी करिश्माई कहानी, कई पीढ़ियों तक नौजवानो को प्रेरित करती रहेगी.  सुशांत के जन्मदिन पर उन्हें सीली आँखों से नमन

  

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