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अभिनेता जिसकी सफ़ेद कार को लड़कियां लिपस्टिक से लाल कर देती थी

आँखे झुकाते ही दिल जीत लेने वाला राजेश खन्ना      

छठे दशक के उत्तरार्ध और सातवे दशक की शुरुआत में ,एक  लड़का , जब रोमांस में भीग कर ,आँखे झुकाता  था  तो गर्म मौसम, गुलाबी हो जाता ,  


 परदे पर प्यार का खुदा हो जाते राजेश  जब बाहर निकलते तो लड़किया उनकी मशहूर सफ़ेद एम्पला कार को , अपने होंठो की लिपस्टिक और तपिश से लाल कर देती।  उनकी कार , अब कार न लगकर, क्लिम्ट की मशहूर पेंटिंग सरीखी हो जाती. 

राजेश खन्ना को लड़कियों के प्रेम निवेदन के इतने मार्मिक खत आते की राजेश खन्ना की दिल की हर दीवार पर , प्रेम के स्थायी निवेदन उभर आते.  रेम्ब्रांट की तरह मोहब्बत के चितेरे , राजेश खन्ना के प्रति जो दीवानगी लड़कियों में दिखाई दी है, वैसा भारतीय सिनेमा इतहास में किसी दूसरे के प्रति नहीं दिखाई  देती. 

ऐसा बेहद  मशहूर, मारूफ राजेश खन्ना की ज़िन्दगी की किताब के पन्ने  उलटते हैं.  दिसंबर ठण्ड से औंधा पड़ा ठिठुर रहा था और उसकी साँसों में सफ़ेद कोहरा जम गया था. इधर अमृतसर की एक  कांपती रात में  जब तारो से शीत झर रही थी , २९ दिसंबर १९४२ को एक  छोटी आँख और बड़े ख्वाबो वाला बच्चा जन्म लेता है.

     घर के हालात कुछ सालो में  ऐसे होते  है कि कुछ सालो में ये बच्चा अपने माँ की गोद से फिसलकर  अपने एक रिश्तेदार की ऊँगली थामने को मजबूर हो जाता है. हाथो की लकीरे कैसे रास्ता मोड़ती है और माथे पर तकदीर क्या लिखना चाहती है, ये कुछ उसका इशारा था. अमृतसर की संकरी गलियों से अचानक ये बच्चा मुंबई की चौड़ी सड़को पर चंचल मन सा भागने लगा।  अमृतसर के गांव  के धूल  से निकले जतिन का नाम अब राजेश हो चुका था। 

नए माँ बाप की गोद में राजेश के ख्वाब अब आँखों से संभाले नहीं जा रहे थे. स्कूल में नए किरदारों के चेहरे ओढ़ते ओढ़ते ,राजेश अब अलग अलग मुखौटो की इस दुनिया का चिर स्थायी पात्र बनना चाहते है. नए काम खोजने वाले स्ट्रगलर की बजाय ,राजेश की खोज में एक ठसक थी , एक अदा , जो उन्हें क़तार से बेहद मुख्तलिफ चेहरा पहना देती है।  

    नयी स्पोर्ट्स कार में नफासत से भरे राजेश काम की तलाश में घुमते घुमते  फिल्मफेयर द्वारा आयोजित अभिनय के कॉम्पिटिशन का हिस्सा बने. कॉलेज में अलग अलग किरदार पहनने के हुनर ने रंग दिखाया और राजेश ,प्रतियोगिता जीत फिल्मो का हिस्सा बन गए. अपनी पहली फिल्म " आखिरी खत' में अभिनय सीखते सीखते नवांकुर से आखिरी फ्रेम तक राजेश एक स्तरीय अभिनेता के पेंचो ख़म सीख चुके थे। 

[Source- https://theprint.in/features]
           
 ये फिल्म उस साल भारत की तरफ से ऑस्कर भी गयी और देश के मीडिया ने इस छोटी आँख वाले बड़े स्टार का स्वागत करना शुरू कर दिया।  राजेश अब सफर पर निकल पड़े थे जिसमे बहुत सी फिल्म अलग अलग मोड़ पर उनका हाथ पकड़ ,उनके सफर को अलग अलग दिशा में ले जाती रही लेकिन 'आराधना ' ने राजेश की मुट्ठी में दुनिया भर दिया। 
     देश भर में एक नए लड़के पर फ़िदा होने का चलन शुरू हो गया. परदे पर राजेश जब उभरते , लड़कियों ,उनकी झुकती आँखों के साथ ,उनकी ओर झुकती चली जाती , वो मुस्कुराकर नज़रे मोड़ लेते तो युवतियों के दिल के किनारे दरकने लगते. उस दौर की लड़कियों में उनके फोटो को अपने माथे का मुकद्दर बनाने की होड़ लग गयी।  आराधना के एक गाने 'रूप तेरा मस्ताना' में राजेश खन्ना ने अलग कमाल कर दिया, पूरा गाना सिर्फ एक बहते से कट में सम्पूर्ण  होकर मोक्ष को प्राप्त हो गया.  एक एयरफोर्स ऑफिसर्स की ठसक के साथ राजेश खन्ना ने गानो को अपनी ख़ास रोमानी अदाएगी से अलग मक़ाम दे दिया।  फिल्म के गीत 'मेरे सपनो की रानी ' में राजेश रोमांस के देवता की तरह लड़कियों के दिल पर अपनी जागीर की मोहर लगाते आगे बढ़ जाते है। 
 

  'कटी पतंग , इत्तेफ़ाक़ , हाथी मेरे साथी , जैसे अलहदा फिल्म से अपने खजाने भरते राजेश अब सफलता की नयी परिभाषा थे. कदमो में उड़ान बांधे राजेश अब आसमान का बड़ा हस्सा अपने नाम करवा चुके थे ,इसी बीच अमर प्रेम ने राजेश खन्ना की सफलता और अभिनय प्रतिभा  के फलक पर ध्रुव तारा टांक दिया।  अखबार और सिनेमा संसार इस सुपरस्टार की चकाचौंध सा हतप्रभ खड़ा था। 

    'एक मजबूरी के तहत जिस्म के बाजार में देह का सौदा करती 'पुष्पा ' जब 'आनंद ' से टकराती है ,तो दोनों का दर्द सांझा होकर पहले हमदर्द, फिर प्यार जैसा गुलाबी हो जाता है. ' आई हेट टीयर्स पुष्पा ' उस दौर के हर नौजवान के ज़बान पर ज़ायके की तरह चढ़ गया था. लगभग इस समय एक नया लड़का और अपनी ज़मीन तलाश कर रहा था और आनंद फिल्म में राजेश खन्ना के समकक्ष खड़ा होता है. राजेश खन्ना और अमिताभ की इस फिल्म में राजेश अपने मजबूत आथर बेस्ड किरदार की वजह से भारी नज़र आते है।   

   कुछ ही सालो में लगभग १५ फिल्मो में सफलता के नए हरफ़ लिखते राजेश एक फेनोमेनन जैसे हो रहे थे. हालांकि हर ऊंचाई का एक ढलान भी तय होता है और उसकी फिसलन संभालना मुश्किल भी होता है लेकिन अपने करियर के कमज़ोर लम्हो में भी राजेश ने 'अवतार ' में अपनी अभिनय काबिलियत का नया  सूरज ऊगा दिया।   हालाँकि अवतार के लिए  फिल्म फेयर बेस्ट एक्टर के लिए नामित राजेश खन्ना , ये अवार्ड , नसीर के हाथो ,  खो देते है लेकिन देश भर के फिल्म क्रिटिक, राजेश खन्ना की अवतार पर न्योछावर हो जाते है. 

 

[Source: https://www.youtube.com]

आल इंडिया क्रिटिक एसोसिएशन ने राजेश खन्ना के सीने  पर बेस्ट एक्टर का तमगा टांग दिया. बच्चो के हाथ ठगे और चोट खाये , अवतार किशन ( राजेश खन्ना )  ,पत्नी राधा ( शबाना आज़मी ) के साथ, खाली हाथ, अपना नया आशियाना बनाने निकल पड़ते है. तिनका तिनका जोड़ते और मुकद्दर की लकीरे ,गाढ़ी  करते अवतार किशन करोड़पति हो जाते है.  पूरे फिल्म में राजेश खन्ना ने इतना संतुलित अभिनय किया है की एलेक्ट्रोनिक मशीन से हर भाव को ग्राम ग्राम, तौला जा सकता है.   

आसमान  में नूर भरा सितारे टूट भी सकता है और इस कदर की वो धुल का हिस्सा हो जाए , ये दुखद पल भी राजेश खन्ना के हिस्से में आये. अपने आखिरी दिनों में अनाम से होते जा रहे राजेश खन्ना को बी ग्रेड की फिल्म, छोटे छोटे सीरियल में खुद को पहचाने की कोशिश में संघर्ष करते देखा जा सकता है

 

 [ Source- https://wallpapercave.com/rajesh-khanna-wallpapers] 
 
मुंबई, जिन दिनों में अपने सारे ग़म, समंदर में उड़ेल देता है, इन्ही टूटती जुलाई की १२ तारीख  को, राजेश खन्ना ने अपने आखिरी दिनों के दर्द में बहते हुए , पानी में मिलने का फैसला कर लिया.  बहुत सारे कलाकार आएंगे लेकिन अपनी सर झुकाते अदा से हिन्दुस्तान को अपनी मुट्ठी में कर लेने वाला कोई अदाकार होगा, इस पर हमेशा सवाल ही रहेगा।  अमर प्रेम में अमर बना ये शख्स, हमेशा के लिए अमर होने का फैसला लिए , सूरज के पार चला जाता है


©अविनाश त्रिपाठी



3 comments:

  1. बहुत अच्छी कवरेज सुपरस्टार की

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  2. Excellent criticism

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  3. बहुत सुन्दर रचना।

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