Best 5 web series of 2020
Best OTT Contents in Recent Past
२०२० के होली के गुलाल ठीक से उतरे भी नहीं थे कि लोगो के पैर , डर और घबराहट से घरो में ठिठक गए. कोरोना और लॉकडाउन ने बहुत से ख्वाब आँखों में ही तोड़ दिए लेकिन एक क्रिएटिव बिज़नेस , अपने उरूज़ पर पहुंच गया.
घरो में क़ैद दीवारों से टकराती आँखों ने अपने खुश रहने के सामान खोज लिए. ये ओ टी टी और उस पर आने वाले विभिन्न कंटेंट और वेब सीरीज थे. हिंदी सिने की एक हद तक एकरूपता को तोड़ती , नए विषय और उत्तेजित करने वाला भाषा को उपयोग करती ,ये वेब सीरीज बेहद लोकप्रिय हो गयी. इस साल की चुनिंदा वेब सीरीज जिसने दर्शको की आँखों को जकड लिया वो निम्न है.
[ Source- https://www.uslis.com/2020/10/scam-1992-harshad-mehta-story-full-web-series.html]
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एक महिला डरने ,घबराने से बेहद मजबूत होने के के प्रोसेस में कितनी दिलकश लग सकती है , आर्य इसका बेहद खूबसूरत उदहारण है. मशहूर स्पैनिश सीरीज ' पेनोज़ा ' पर आधारित इस फ़ास्ट पेश्ड क्राइम थ्रिलर को उम्मीद के विरुद्ध एक औरत ने अपनी कोमल कलाई से बेहद मजबूती से पकड़ रखा है.
तीन बच्चो की माँ आर्या सरीन ( सुष्मिता सेन ) इस सीरीज की नायक और नायिका दोनों है. सालो बाद किसी परदे पर दिखी सुष्मिता ने मानो सालो के उफन रहे ऊर्जा और प्रतिभा को एक साथ , पुरज़ोर तरीके से उड़ेल दिया है. पति के दवा और ड्रग्स के कारोबार में उलझे रहने पर बच्चो को संभालती सुष्मिता , जब भूमिका बदलती है तो परदे पर सिर्फ उनकी चमक दिखाई देती है.
पति की ड्रग्स बुसिनेस में हत्या और उस कारोबार को सँभालने में चोट खायी सुष्मिता , मर्दो को याद दिला देती है की हर मर्द , किसी औरत की कोख का जाया होता है. राजस्थान की पृष्ठभूमि में बिजिनेस राइवलरी , राईस ज़िन्दगी और उसके उलझे स्त्रो को निर्देशक राम माधवानी ने बेहद कुशलता से गढ़ा है. वेब सीरीज का हर एपिसोड अपने पीक पर ख़त्म होकर, दूसरे एपिसोड की लिए इतना कौतुहल जगा देता है की कई बार दर्शक , एक सांस में कई एपिसोड देख जाता है.
[Source: https://www.imdb.com/title/tt11854694/] |
3- स्पेशल ऑप्स -
अगर आपको किसी वास्तविक घटना और उसके गिर्द गिर्द बेहद बारीकी से रचा गया रोमांच और कल्पना को देखना हो तो स्पेशल ऑप्स अपरिहार्य है. २००१ में भारतीय संसद पर हुए हमले की सच्ची घटना पर कुछ तथ्य, कुछ कल्पना को जोड़कर , नीरज पांडेय ने पल पल बदलते घटनाओ का ऐसे ताना बाना रचा की दर्शक की उत्सुक्तता अपने चरम पर पहुंच जाती है. हिम्मत सिंह , रॉ का इंटेलीजेंट अफसर है लेकिन पिछले १९ साल से , हमले में शामिल छठे आदमी की थ्योरी पर काम कर रहा है.
अपने एजेंट्स के जरिये अंततः वो इस छठे आदमी तक पहुँचता है और उसे ख़त्म कर देता है. मल्टिपल नॉन लीनियर नैरेटिव के ज़रिये कभी फ़्लैश बैक कभी वास्तविक तिमेलिने के इर्द गिर्द घूमकर , कहानी में नए रोमांच जोड़ती है. रूस , दुबई, इस्ताम्बुल आदि की खूबसूरत लोकेशन, विसुअल ट्रीट है लेकिन सबसे मुख्य हिम्मत सिंह यानी के के मेनन का बेहद ठहराव भरा ज़ोरदार अभिनय है. करण टैकर भी प्रभावशाली दिखे है. शिवम नैर ने भी कुछ एपिसोड डायरेक्ट किया है और उनके नाम भी बेहद रोचक है. कागज़ के फूल, गाइड , मुग़ल-ए -आज़म जैसे नाम, निर्देशक के प्रिय फिल्मो को आदर देना सा लगता है
[Source - https://en.wikipedia.org/wiki/Panchayat_(TV_series)] |
4- पंचायत -
अभिषेक त्रिपाठी (जीतेन्द्र कुमार) गाँव पंचायत में सचिव नियुक्त होकर अनमने ढंग से आते है लेकिन गाँव की समस्याओ में उलझ जाते है. गाँव की प्रधान मंजू देवी ( नीना गुप्ता ) सिर्फ कागज़ में प्रधान है , जबकि उनके पति ब्रजभूषण दुबे ( (रघुवीर यादव ) ज़मीन पर , प्रधानी का काम संभालते है. भारत के ज़्यादातर गाँव में प्रधान पति के कांसेप्ट , बिजली की समस्या , खुले में शौच जैसी आम दिक्कत, कहानी में रोचकता के साथ आती है. अति हिंसा, हद तक अश्लील दृश्य और भाषा की वेब सीरीज के बीच , 'पंचायत ' एक बड़ी राहत जैसी है.
5- बंदिश बैंडिट -
बंदिश बैंडिट ने भी सिनेमा और भारतीय टीवी स्पेस का बिलकुल अनछुए हिस्से को बेहद सलीके से सहलाया है. म्यूजिकल घरानो की आपसी अनबन, उनसे जुडी साजिशे , घर की नयी पीढ़ी के अपने तौर तरीके , विद्रोह और शास्त्रीय संगीत के आदर्शवाद के बीच घूमती कहानी, राजस्थान की ख़ूबसूरती भी बयान करती है. रेगिस्तान के सेहरा और खूबसूरत हवेलियों में सुर का दरिया जब बहता है, कानो में शीरी स्वर लहरिया धीरे धीरे घुलने लगती है. राठौर घराने के संगीत सम्राट राधे मोहन ( नसीरुद्दीन शाह ) संगीत में शास्त्रीयता के पक्षधर है।
उनका पोता राधे बेहतरीन गायक है लेकिन वो पॉप संगीत में जगह बनाने की कोशिश करती तमन्ना , का दिल दे बैठता है. यही से पॉप और शास्त्रीय की लड़ाई में संगीत जीतने लगता है. रिश्ते, गद्दी , अहम् और संगीत सम्राट होने की जुस्तजू में कहानी , शंकर अहसान लॉय के संगीत से बेहद मधुर हो जाती है. बैंडिट बंदिश को संगीत में रची एक लम्बी कविता की तरह खूबसूरत बनाने का काम निर्देशक आनंद तिवारी ने बेहद गहराई से किया है.
©Avinash Tripathi
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