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Vyjayanthimala - The Beautiful Blend of Beauty, Acting & Dance

    

  नायिका जिसके लिए दिलीप साब ने खुद चुनी सैकड़ो साड़ी

 

देवदास टूट रहा था , उसके कदमो की हर लग़्ज़िश , हर लड़खड़ाहट को एक दुनिया के लिए मोहब्बत का सौदा करने वाली लेकिन दिल से सोना लड़की संभाल रही थी। न जाने कितनी बार शराब के नशे में लड़खड़ाते देवदास ( दिलीप कुमार ) के पैरो के नीचे उसने अपनी हथेलिया रख दीं.,देवदास  पारो की याद में रोया तो अपनी आँखे उधार दे दी , यादो के जख्म गहरे  हुए तो अपने दर्द को देवदास के दर्द का हमदर्द बना दिया।

 पाकीज़ा मोहब्बत के इस जज़्बात को निभाती नहीं बल्कि शिद्दत से जीती चंद्रमुखी कोई और नहीं बल्कि वैजयंतीमाला थी. १९५५ में बिमल रॉय की देवदास में दक्षिण भारत की वैजयंतीमाला ने एक तवायफ की हर अदा , हुनर ,जज़्बात, को अपने चेहरा दिया तो किरदार की परत परत खिल उठी. ये कमाल था  कि दक्षिण भारत की वैजयंतीमाला , अलग ज़बान, शैली के बावजूद हिंदी सिनेमा के दर्शको को अपने नृत्य, अदाकारी, ख़ूबसूरती, और दिलकश अंदाज़ से अपना बनाती जा रही थी.

 

(Source: https://www.asianage.com)

 १३ अगस्त १९३३ में जब आज़ादी की मांग ज़ोर पकड़ रही थी, एक बेटी इस दुनिया में आती है और दुनिया में स्त्री सम्मान और उनके हुनर को पहचान देने में बड़ा नाम कमाती है. १६ साल की उम्र में तमिल फिल्म 'वाजखाई ' से शुरुआत करके वैजयंतीमाला अपना दायरा बड़ा करती है और उस हिंदी सिनेमा में दस्तक देती है जहाँ कोई दक्षिण भारतीय अभिनेत्री नहीं आयी थी. 

अजनबी परिवेश और अलग कार्य संस्कृति के बीच वैजयंतीमाला लफ्ज़ लफ्ज़ अपनी नयी इबारत लिखती है. १९५५ में आयी 'नागिन' में इस कदर लहराते हुए नृत्य करती है जैसे घनेरे बादल के बीच रह रह के बिजली चमक रही हो. अपने नृत्य का पुरज़ोर ऐलान करती वैजयंतीमाला अब भारत की पहली महिला सुपरस्टार की तरफ पाँव रख रही थी. देवदास में चंद्रमुखी में बनकर न सिर्फ देवदास का बल्कि भारत के नौजवान की आँखों में उतर जाती हैं. मोहब्बत में सिर्फ पाने की ख्वाहिश नहीं होती, अपने प्यार को उसके प्यार की झोली में डाल देना , मोहब्बत में मोक्ष पाने जैसा है.

 

(Source: http://www.coastweek.com)

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 अपनी बेहतरीन अदाकारी के लिए वैजयंतीमाला को 'देवदास' के लिए बेस्ट सपोर्टिंग अभिनेत्री का पुरूस्कार मिला तो आत्मसम्मान से भरपूर वैजयंतीमाला ने विनम्रता से इसे लेने से इंकार कर दिया. पहली बार किसी ने अपने कार्य को सही तरीके से सम्मानित नहीं किये जाने के खिलाफ आवाज़ उठाई थी.

 आज़ादी के बाद हालात बदल रहे थे और इसी बदलते दौर को अलग अंदाज़ देते हुए 'नया दौर' आयी जिसमे मशीन की लड़ाई इंसानी इरादों से होती है. अपने प्रेम और उसके दृढ विश्वास के साथ अपना भरोसा जोड़ती वैजयंतीमाला इस लड़ाई में ऐसा सारथि बनती है जो हर हाल में कमज़ोर के साथ खड़ा होता है और जीतता है. वक़्त के साथ हर कदम मजबूती से रखती वैजयंतीमाला वक़्त के सफो को पीछे पलट देती है और 'मधुमती ' में प्यार में डूबकर इस कदर पुकारती है कि आवाज़ दूसरे जन्म तक सुनाई देती है.

 

(Source: Vyjayanthimala in film "Madhumati")
 

 'आ जा रे परदेसी ' बुलाती वैजयंतीमाला पहली बार पुनर्जन्म की कहानी में इस तरह विश्वसनीय लगती है की हर कोई अपने पिछले जन्म के राज जानने को उतावला हो जाता है. अब तक दिलीप कुमार के साथ अभिनय की हर बारीकी में उनके सामने कद्दावर तरीके से खड़ी वैजयंतीमाला अब 'गंगा जमुना' में उत्तर भारतीय गाँव की कुछ हद तक भोजपुरी बोलती एक ऐसी लड़की के किरदार में दिखती है जो दक्षिण भारतीय अभिनेत्री से उम्मीद करना ज़्यादती होता.

 चुलबुली, अल्हड दोशीज़ा वैजयंतीमाला इस किरदार के माध्यम से भारत की असली ज़मीन में इस तरह घुल मिल जाती है कि हर कोई उन्हें अपने खेत का हिस्सा माने लगता है. अपनी इस किरदार के अभिव्यक्ति में अदाकारी के ज़मीन की धूल को गुलाल करती वैजयंतीमाला फिर एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरूस्कार जीतती हैं. .

 

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 (Source: Vyjayanthimala in film "Devdas" as Chandrmukhi)

 मुख्तलिफ किरदार को अपनी रूह देती वैजयंतीमाला अब दो दोस्तों के बीच अपने प्यार का मुश्किल फैसला करने पर मजबूर हो जाती है. 'संगम' में राजकपूर और राजेंद्र कुमार के बीच अपने प्यार को कुचलती वैजयंतीमाला एक ऐसी नदी की धार की तरह हो जाती है जिसकी लहर  बार बार तट पर टकरा कर टूट जाती है. प्यार के दो अलग अलग तटों के बीच में निर्मल धारा की तरह बह रही वैजयंतीमाला ने संगम में अभिनय की नयी शीतलता को छू लिया. 

 एक तरफा प्यार में डूबे सुन्दर ( राजकपूर ) और अपने असली प्यार गोपाल (राजेंद्र कुमार ) के बीच में राधा ( वैजयंतीमाला ) दो दोस्तों के बीच पिसती हुई दिखाई देती है. दोस्तों के आपसी प्यार, जलन, और बलिदान के बीच , राधा अपने प्यार को कुर्बान करने का हुनर भी सीख लेती है लेकिन ऐसे समझौते अक्सर , अंदर अंदर तपिश से जलते रहते हैं. वक़्त इनके ऊपर सफ़ेद राख ज़रूर रख देते है लेकिन राख हटाते ही अंदर सुर्ख आंच ,उसी ताप में जलती दिखाई देती है. 

 

(Source:https://www.jansatta.com)
 
 

 कामर्शियल  फिल्मो में अपनी अभिनय क्षमता और नृत्य से लोगो के दिल की रजिस्ट्री अपने नाम करते , वैजयंतीमाला आम्रपाली  के सफर तक जा पहुँचती हैं.  वैशाली की नगरवधू की भूमिका में वैजयंती लम्हा लम्हा पकते हुए उस उरूज़ को छू लेती है जो मोक्ष कहलाता है. बहुत सारे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरूस्कार विजेता ये फिल्म वैजयंतीमाला के अभिनय में आकाश का बड़ा टुकड़ा जोड़ देता है.

सूरज और प्रिंस में राजशाही के साथ अपनी भूमिका को सार्थक करती वैजयंती, एक बेहद खूबसूरत राजकुमारी के किरदार को अपना जिस्म ओढ़ा देती है।  इन दोनों ही फिल्म में कमाल के गीत और नृत्य , वैजयंतीमाला के हुनर के आकाश में कुछ और सितारे जोड़ देते हैं. और वैजयंती 'बदन पे सितारे लपेटे हुए ' इठलाती हुई नज़र आती है

 

अपनी व्यक्तिगत ज़िन्दगी में कई सम्बन्धो का सच झूठ लपेटे ,वैजयंती , कभी राजकपूर ,कभी दिलीप कुमार की प्रेमिका बताई जाती रही. कहा जाता है की गंगा जमुना फिल्म में दिलीप कुमार , वैजयंतीमाला के इतने करीब थे की उनके द्वारा फिल्म में सभी साड़ी का चुनाव , उन्होंने खुद किया था.

 

 

 (Source: Vyjayanthimala in film "Jewel Thief")

जानिये श्री देवी की लाइफ जर्नी के बारे में- श्री देवी 

 अभिनय में वैजयंती लगातार करिश्मा कर रही थी , बहुत से करिश्मो के बीच में एक करिश्मा बचा था जो वो होंठो से दबा छुपाना चाहती हैं. ज्वेल थीफ में 'होंठो से ऐसे बात मैं दबा कर चली आयी ' में अपने नृत्य हुनर का प्रदर्शन करती वैजयंतीमाला अपने पैर की हर थाप पर नया संगीत छेड़ देती है. अभिनेत्री, नृत्यांगना, सिंगर, राजनीतिज्ञ और समाजसेवक की विभिन्न भूमिका को इतनी बखूबी से निभाना ,ये हुनर बिरलो के पास होता है ,वैजयंतीमाला उन बेहद  ख़ास  में भी सबसे ख़ास है। .

 

©अविनाश त्रिपाठी 

 

1 comment:

  1. The way you narrated about her the beautiful visuals of Vyjayantimala started flooding in my mind.

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