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Bandish Bandit- A fresh air of musical saga

 

Bandish Bandit


वेब की दुनिया का दरवाज़ा खोलते ही ,जो आवाज़ सुनाई देती थी,  वो कानो को छेदने वाली गोली और गालियों की कर्कश आवाज़ होती थी . अचानक एक दिन सेहरा के पारदर्शी  रेत  से, मौसिकी की स्वर लहरिया सुनाई देने लगी.  ये बंदिश बैंडिट थी.  शास्त्रीय संगीत घराना और नए दौर के पॉप कल्चर के बीच में बल खाती कहानी, दो अलग अलग आसमान में उड़ने  वाले लव बर्ड्स की भी है.


(Source: https://zeenews.india.com/television/get-ready-for-musical-series-bandish-bandits-on-amazon-prime-videos-2298959.html)

राजस्थान के रेतीले धोरो और बड़ी बड़ी हवेली की पृष्ठभूमि में , संगीत सम्राट राठौर ( नसीरुद्दीन  शाह )  अपनी शुद्ध गायिकी के प्रबल समर्थक दिखते  है. उनका बेटा  राजेंद्र , बहु मोहिनी (शीबा चड्ढा ) और पोता राधे (ऋत्विक भौमिक ) है.

रागो के आरोह अवरोह के साथ आगे बढ़ रही कहानी में खूबसूरत अवरोध आता है जब तमन्ना ( श्रेया चौधरी )  पॉप सिंगर बनने की यात्रा में जोधपुर आती हैं।  म्यूजिक कंपनी द्वारा दिए कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करने को छटपटाती तमन्ना को, राधे के रूप में बेहद प्रतिभाशाली पार्टनर दिखाई देता है. पॉप और शास्त्रीय संगीत के फ्यूज़न को इस अनोखे प्रोजेक्ट में ,बाँधने का मंसूबा लिए तमन्ना, धीरे धीरे राधे के करीब आ जाती है.

(Source:https://www.santabanta.com/photos/bandish-bandits/32414005.htm)

 म्यूजिक कंपनी ऐसे गीत की तलाश में है जो युवाओ को संगीत से उन्ही की ज़बान में जोड़े. तमन्ना की सोच में राधे ,ऐसे गीत का सबसे बड़ा आकर्षण  हो सकता है.   इधर राधे , प्रेम के उगते ताप और परिवार की शास्त्रीय परंपरा के बीच पिसने लगता है. परिवार के मुखिया , संगीत सम्राट  राठौर , संगीत के साथ किसी नए प्रयोग के पक्षधर नहीं है. पैसो की तंगी भी पंडित जी को संगीत के मूल में किसी भी फेरबदल और बाजार के अनुरूप लाने पर मजबूर नहीं कर पाती.

(Source:https://indianexpress.com/photos/entertainment-gallery/bandish-bandits-meet-the-cast-of-amazon-prime-videos-web-series-6537223/3/)


संगीत की खूबसूरत दुनिया के कुछ स्याह पन्ने खुलते ही कहानी में अलग किस्म का खिंचाव और रोचकता आ जाती है. कहानी में दमदार प्रवेश दिग्विजय (अतुल कुलकर्णी ) का होता है. राठौर की पहले वैधिक  प्रेम की उत्पत्ति दिग्विजय, राठौर घराने का खुद का वारिस मानते है. यहाँ से संगीत में राजनीति।, उठापटक , जीत और हार की वो लड़ाई शुरू होती है जो संगीत की बुनियादी शिक्षा में नहीं है.

हर लड़ाई का एक विजेता होता है ,इसी परंपरा में एक दिन वारिस की म्यूजिकल लड़ाई होती है. नए ज़माने में पुराने और शुद्ध हुनर को गले में बांधे ,युवा राधे लड़ाई में प्रत्यंचा चढ़ाते है और सामने खड़े ,दिग्विजय  अपनी तमाम ताने और अलाप के बावजूद , घायल दिखाई देते है.

(https://ibctime.com/bandish-bandits-review-shankar-ehsaan-loys-brilliant-soundtrack-anchors-amazon-prime-videos-romantic-musical/)

कहानी में घोर शास्त्रीयता को तोड़ने के लिए बीच में राधे के दोस्त  का किरदार गढ़ा  गया है. ये संगीत की खूबसूरत यात्रा में ज़मीने हास्य के हिचकोले प्रस्तुत करता है. उसकी कई बार अभद्र भाषा , शाइस्तगी के किस्से में एक अलग रंग छोड़ती है  ज़बान के प्रयोग से खुश नहीं होंगे.

नसीर अपनी क्षमता अनुसार , पूरे सीरीज में कई रंग में नज़र आते है. कहानी  के नॉन लीनियर होते ही  उनका एक स्याह,  कुरूप सा हिस्सा भी दिखता है.  नसीर किरदार को परत में बांटना जानते है. हर परत में एक नया लहज़ा और नया रंग. बड़े बेटे के रूप में राजेश तैलंग भी बेहद पुरज़ोर दीखते है. संगीत फॅमिली के हर गर्व और अंदुरूनी दर्द को सहते राजेश , कई बार बारीक अभिनय करते दीखते है. बिंदास भूमिका में तमन्ना के पिता ऋतुराज और म्यूजिक प्रोडूसर कंकाल रॉय , आधुनिक ग्लैमर वर्ड के प्रतिनिधि के रूप में जंचते  है


(https://indianexpress.com/article/entertainment/web-series/bandish-bandits-review-naseeruddin-shah-web-series-6539009/)

इस वेब सीरीज की जान ,निर्देशक आनंद तिवारी है जिन्होंने एक ख़ास वर्ग  और पुरातन सोच वाले सब्जेक्ट को  बेहद  ख़ूबसूरती से परोस कर , उसका नया बाजार , नए प्रशंशक पैदा कर दिए.  उससे भी ज़्यादा इस कहानी की रूह, इसका म्यूजिक है. शंकर अहसान लोय , ने कहानी की आत्मा को पहले अपनी रगो में देर तक डूबने दिया. जब कहानी रगो में बहने लगी, तब तानपुरा उठाकर जो राग लगाए. वो पहले फ्रेम से दिल की सबसे महीन रग  को छूते  चले जाते है.

एक और चीज़ इस कहानी को धीरे धीरे हलकी आंच पर पकने का मौका देती है।  वो कहानी राधे और तमन्ना का अधसिंका  प्यार है. राधे (ऋत्विक ) गाते वक़्त , रियाजी शास्त्रीय संगीत की अदाओं में पारंगत दिखते  है.  तमन्ना  बेलौस, बिंदास और दोशीज़ा का अनोखा संगम दिखती है.

कुल मिलकर एक कहानी देखने के साथ , सुनने के ज़्यादा योग्य है.

©अविनाश त्रिपाठी








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