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थिरकती ख्वाहिशो का सबसे मुक़म्मल चेहरा

 माधुरी  दीक्षित 


मई मे जब गर्मी पारा तोड़ कर नयी कीर्तिमान बनाने मे लग जाती है, इसी मई के ठीक मध्य मे 15 तारीख 1967 को यानी ठीक 53 साल पहले एक थिरकता पाँव, अदा से इठलाता चेहरा पैदा हुआ. ये धरती पर थिरकती ख्वाहिशो का सबसे खूबसूरत और भाव प्रणय चेहरा था. इसके पैरो की लरज़िश, पलाश के फूल खिला सकते थे, नाज़ से जिस ओर देखती, कड़ी धूप, हसीन शाम मे बदल जाती, पलको की हरक़त मौसम बदल देती. भारतीय सिनेमा  की  सबसे बेहतरीन नृत्यांगना अभिनेत्री माधुरी दीक्षित यू ही नयी सबसे सफल अभिनेत्रियो मे से एक रही. 

 

 

बाली उम्र मे जब वो अबोध ही थी, इसी नाम की फिल्म से अपने आने का एलान किया. हालाँकि अच्छे अभिनय के बावजूद फिल्म ने पैसा तो नही कमाया लेकिन माधुरी ने लाखो  दिल ज़रूर कमा लिए. आख़िर 1989 मे आई फिल्म तेज़ाब ने अमृत की तरह माधुरी के बगिया मे कामयाबी के फूल खिला दिए. इसी फिल्म ने माधुरी की नृत्य क्षमता को भी इस तरह स्थापित किया कि एक, दो,तीन नही... नहीं बल्कि   सालो तक इस तरह की नृत्य प्रतिभा फिल्म मे नही आई. 

अपनी नयी जोड़ी अनिल कपूर के साथ माधुरी अब जो भी कर रही थी वो फक़त करिश्मा ही था. राम लखन, परिंदा, कृष्ण कन्हैया जैसे कई फ़िल्मो मे माधुरी ने नृत्य के साथ अपनी बेजोड़ अभिनय प्रतिभा से दर्शको को चमत्कृत कर दिया. फिर नज़ाकत से माधुरी ने जब पूछा" हम आपके है कौन" पूरा हिन्दुस्तान ने माधुरी के होने का ख्वाब देखना शुरू कर दिया. कमाल ये भी रहा की इस फिल्म के लिए 2 करोड़ से ज़्यादा का परिश्रमिक लेकर माधुरी ने 90 के दशक को माधुरी दशक बनाने मे एक मजबूत कदम आगे बढ़ा दिया. 

अब माधुरी का जादू सिर्फ़ आम भारतीयो के सर चढ़कर नही बोल रहा था बल्कि मशहूर पेंटर एम एफ हुसैन ने सिर्फ़ माधुरी के लिए "हम आपके है कौन" 67 बार देखी. नृत्य और अभिनय के बेजोड़ मेल को माधुरी ने एक बार फिर देवदास मे साबित किया. 30 किलो का घाघरा पहन माधुरी जब थिरकी तो उनके पैरो मे बँधे घुंघरू ने प्रेम का संगीत रच दिया. फिर तो उनके साथ समूची कायनात थिरक उठी. इस फिल्म मे नृत्य निर्देशन कर रहे बिरजू महाराज ने माधुरी को नृत्य करते देख उन्हे भारतीय फिल्म इतिहास की सर्वश्रेष्ठ नृत्यांगना करार दिया. कथक की सालो आराधना करती आई माधुरी, बिरजू महाराज की परीक्षा मे अव्वल आने से फूली नही समाई. 

दुनिया के दिल को धक धक धड़काते, आख़िर माधुरी का दिल भी डा नेने के लिए धड़क उठा. कभी खुद के लिए डाक्टर बनने का ख्वाब संजोए माधुरी को आख़िर धड़कनो का डाक्टर मिल गया. शादी के बाद अमेरिका जा बसी माधुरी ने फ़िल्मो को और फ़िल्मो ने माधुरी को भूलने की बहुत कोशिश की लेकिन दोनो ही कामयाब नही हुए. 

5 साल के बाद वापस लौटी माधुरी ने "आज नाच ले" से अपनी वापसी की तो उनके पैर ज़मीन पर थाप देकर चित्र बनाते से लगे. माधुरी की वापसी से खुश हुसैन ने पूरा थियेटर बुक करके माधुरी और उनके नृत्य के लिए अपने सम्मान को फिर एक बार जग ज़ाहिर किया. नृत्य और अभिनय ही नही, बल्कि धुले धुले से आसमान मे खिली खिली से अनूठी मुस्कान माधुरी का एक और हथियार रहा है. पलक झुकाकर जब माधुरी के दोनो अधर खिलते, उम्मीदो की झालर सी खुल जाती. फिर हर कोई माधुरी के मोह्पाश मे बँधा नज़र आता. भारतीय सिनेमा मे नृत्य, अभिनय, खूबसूरती, मुस्कान और बेहद दिलक़श अदा का ये अनूठा मेल फिर कभी नज़र आएगा. इसमे सदा संदेह रहता है. 

 ©अविनाश त्रिपाठी

 

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